Whistleblower Act in Hindi

 व्हिसल ब्लोअर एक्ट , 2011 

 26 अगस्त , 2010 को सरकार ने लोकसभा में पब्लिक इंटरेस्ट डिस्क्लोसुरे एंड प्रोटेक्शन टू पर्सन्स मेकिंग द डिस्क्लोसुरे विधेयक , 2010 ( The Pubic Interest Disclosure and Protection to Persons Making the Disclorue Bill , 2010 ) पेश किया । इसमें एकविधि को रूप दिया गया था , जिससे किसी भ्रष्टाचार आरोप को उजागर करने या किसी सरकारी कर्मी द्वारा अपने विशेषाधिकारों का जानबूझ कर दुरुपयोग करने जैसे उजागर किये गए आरोपों की जाँच करना या करवाना , शिकायतकर्ता को पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने का प्रावधान इस अधिनियम में है । 

विधेयक संसद की स्थाई समिति से संबंधित विभाग को अध्ययन करने के लिए दिया गया । इस कमिटी की अनुशंसाएँ विचारधीन हुई और 13.12.2011 की हुए कैबिनेट मीटिंग में विधेयक में सरकारी संशोधनों का मान लिया गया । 

यह भी मान लिया गया कि विधेयक का नया नाम हो- " व्हिसल ब्लोअर संरक्षण विधेयक , 2011 ( The Whistle Blowers Protection Bill , 2011 ) लोकसभा ने सरकारी संशोधनों के साथ - साथ विधेयक पर भी विचार किया और इसे 27.12.2011 को पारित कर दिया । फिर इसे राज्यसभा को भेज दिया कि वह इस पर चर्चा करे और पास करे ।

 विधेयक 28,29 दिसंबर , 2011 को विचार के लिए चिन्हित किया गया , लेकिन राज्यसभा में उस पर विचार करने तथा पास करने का वक्त न मिला । व्हिसल ब्लोअर संरक्षण विधेयक , 2011 ( The Whistle Blowers Protection Bill , 2011 ) विचार के लिए राज्यसभा में 14.08.2012 को मानसून सत्र में पेश हुआ । 

विधेयक कई दिनों तक चर्चा सूची में रहा , लेकिन उस मानसून सत्र में चर्चा में न आ पाया । विधेयक की पेशी को विचाराधीन करने तथा इसे विमर्श के बाद पास करने का नोटिस तथा इस विधेयक में सरकारी संशोधनों को पेश करने का नोटिस राज्य सभा को कई बार दिया गया- शीत सत्र 2012 के दौरान बजट सत्र 2013 मानसून सत्र 2013 में , लेकिन विधेयक विचार के लिए संबद्ध के पटल पर नहीं आया । 

संसद के शीत सत्र 2013 में विधेयक में सरकारी संशोधन , उस पर विचार तथा उसे पास करने का नोटिस फिर से भेजा गया । लोकसभा ने बिल के जिस रूप में पास किया , उसे राज्यसभा ने अंत में 21 फरवरी , 2014 को पास कर दिया जिस पर 9 मई , 2014 को राष्ट्रपति की मुहर लग गई । 

विशेषताएं 

व्हिसल ब्लोअर संरक्षण विधेयक , 2011 ( The Whistle Blowers Protection Act , 2011 ) के विभिन्न बिंदु इस प्रकार हैं : 

  • 1. इस एक्ट ने व्हिसल ब्लोअर ( whistle blowers ) ( जो भ्रष्टाचार की जानकारी देते हैं ) की पहचान को गोपनीय रखने की एक विधि प्रस्तुत की है जो व्यक्ति सरकार में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश करते हैं या सरकारी सेवकों द्वारा अनियमितता का खुलासा करते हैं वे अब प्रताड़ित होने के भय से पूर्णतः मुक्त हैं । 
  • 2 एक्ट ने एक ऐसी व्यवस्था स्थापित की है कि लोग भ्रष्टाचार की जानकारी दे सकें या सरकारी सेवको द्वारा विशेषाधिकारों का मनमाना दुरुपयोग होने पर यहाँ तक कि मंत्रियों द्वारा होने पर , उसको उजागर 
  • 3. एक्ट के अनुसार एक व्यक्ति एक भ्रष्टाचार का जनहित में उजागर एक सक्षम प्राधिकरण के समक्ष कर कर सकता है । वह प्राधिकरण है - केंद्रीय निगरानी आयोग ( CVC ) अधिसूचना के द्वारा सरकार कोई निकाय गठित कर सकती है जो भ्रष्टाचार की शिकायतें दर्ज करें । 
  • 4. एक्ट के अनुसार आयोग गलत या दुर्भावना से प्रेरित शिकायतें पाए जाने पर शिकायतकर्ता को दो साल की जेल का दंड दे सकता है । साथ ही 30 हजार रुपये का जुमार्ना भी लगा सकता है । 
  • 5. ऐक्ट कहता है कि हर भ्रष्टाचार उद्घाटन को विश्वसपूर्ण तरीके से करना चाहिए । जो व्यक्ति उद्घाटन करता है उसे निजी घोषणा करनी चाहिए कि वह आश्वस्त होकर ही घोषणा कर रहा है । उसके द्वारा दी गई सूचना प्रामाणिक तौर पर सही है । 
  • 6. उद्घाटन लिखित रूप से या ई - मेल मेसेज द्वारा हो सकता है पर वह निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप हो तथा उसमें पूरी बातें हो । साथ में पुष्टि का कागजात या साम्रगी भी होनी चाहिए । 
  • 7. हालांकि यदि कोई उद्घाटन उद्घाटन करने वाले के नामोल्लेख के बगैर हो यानी शिकायत कर्ता या सरकारी सेवक का नामोल्लेख न हो तो कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए । या शिकायत कर्ता या सरकारी सेवक की पहचान प्राप्त न हो या सही न हो तो भी कोई कार्रवाई नहीं होगी । 
  • 8. राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी सूचना को एक्ट के दायरे से बाहर रखा गया है । यह एक्ट जम्मू और कश्मीर , सेना पर तथा प्रधानमंत्री की सुरक्षा में लगे विशेष सुरक्षा बल तथा पूर्व प्रधानमंत्रियों की सुरक्षा में लगे बल पर लागू नहीं होता ।

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